Chandrashekhar Singh
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चंद्रशेखर की सरकार: जब सिर्फ़ 7 महीने में गिरा भारत का ‘संविधान प्रेमी’ प्रधानमंत्री

1990-91 के दौर में भारतीय राजनीति बहुत तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रही थी। जनता दल की सरकार विघटन के कगार पर थी; वि. प. सिंह की सरकार में “मंडल आयोग” और “राम जन्मभूमि विवाद” जैसी ज्वलंत मुद्दों ने जनता को बाँट दिया था।
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  • सरकार बनने की परिस्थितियाँ: 1989 चुनावों में बनी वी.पी. सिंह सरकार मंडल आयोग और राम मंदिर विवाद से कमजोर हुई और बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया।

  • अल्पसंख्यक सरकार की स्थिति: चंद्रशेखर सरकार बिना बहुमत के बनी थी और कांग्रेस के बाहरी समर्थन पर टिकी थी।

  • कामकाज और चुनौतियाँ: गंभीर foreign exchange crisis और balance of payments समस्या से सरकार को IMF से मदद लेनी पड़ी।

  • गिरावट और असर: कांग्रेस ने मार्च 1991 में समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार मात्र 7 महीने (223 दिन) ही चल पाई।

1990-91 के दौर में भारतीय राजनीति बहुत तीव्र परिवर्तन के दौर से गुजर रही थी। जनता दल (Janta Dal) की सरकार विघटन के कगार पर थी, V.P Singh की सरकार में “मंडल आयोग” (“Mandal Commission”) और “राम जन्मभूमि विवाद” ("Ram Janmabhoomi dispute") जैसी ज्वलंत मुद्दों ने जनता को बाँट दिया था। इसी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच चंद्रशेखर ने 10 नवंबर 1990 को भारत के आठवें प्रधानमंत्री (Eighth Prime Minister of India) के रूप में शपथ ली। उन्होंने अपनी नई पार्टी Samajwadi Janata Party (Rashtriya) की बागडोर संभाली थी, जो जनता दल के एक भगोड़े धड़े से बनी थी। चंद्रशेखर (Chandrashekhar) को कांग्रेस का बाह्य समर्थन मिला, जिससे एक अल्पसंख्यक सरकार बनी।

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