मीडिया जो बोली, विचार प्रकट करने में स्वतंत्रता का दावा करता है क्या सच में वह स्वतंत्र है? (Is the media in India free?)
मीडिया जो बोली, विचार प्रकट करने में स्वतंत्रता का दावा करता है क्या सच में वह स्वतंत्र है? (Is the media in India free?)AI Generated

National Press Day: क्या भारत की मीडिया स्वतंत्र है? राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर जानें कि भारत की मीडिया का क्या है हाल?

भारत एक लोकतांत्रिक यानी डेमोक्रेटिक देश है यहां हर चीज की आजादी है लेकिन यह आजादी सिर्फ संविधान तक ही सीमित है।
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  • भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता की लड़ाई लंबे समय से चली आ रही है, ब्रिटिश शासन के दौरान वर्नाकुलर प्रेस एक्ट 1878 और इंडियन प्रेस एक्ट 1910 ने मीडिया पर नियंत्रण स्थापित किया।

  • आज की प्रेस कानूनी दमन, सेल्फ-सेन्सरशिप और डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है।

  • कुछ मामलों में पत्रकारों को उनकी रिपोर्टिंग की वजह से जान से हाथ धोना पड़ा, जैसे मुकेश चंद्राकर, संदीप कोठारी और शांतनु भौमिक की हत्याएँ।

भारत एक लोकतांत्रिक यानी डेमोक्रेटिक देश है यहां हर चीज की आजादी है लेकिन यह आजादी सिर्फ संविधान तक ही सीमित है। जब भी कोई व्यक्ति बोलने लिखने की स्वतंत्रता दिखाता है तब उस पर कई कारणों से दबाव डालकर उसका मुंह बंद करवा दिया जाता है। भारत का मीडिया जो बोली, विचार प्रकट करने में स्वतंत्रता का दावा करता है क्या सच में वह स्वतंत्र है? (Is the media in India free?) प्रेस न केवल खबरें फैलाता हैं बल्कि विचारों का विमर्श भी जन्म देता है जिससे लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया सशक्त होती है।

सवाल ये उठाता है कि स्वतंत्रता के नाम पर संवैधानिक अधिकार तो मौजूद है लेकिन क्या व्यवहार में पत्रकार बिना डर और किसी बाधा के सरकार या अन्य शक्तियों की आलोचना कर सकते हैं? हाल की घटनाएं कानूनी दमन और सेल्फ सेंसरशिप की खबरें इस विश्वास को चुनौतियों के दायरे में लाती है। तो आईए जानते हैं कि क्या वास्तव में भारत की प्रेस स्वतंत्र है?

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